उदयप्रताप सिंह यादव की सामाजिक व राजनैतिक मुद्दों पर बेबाक टिप्पणी

लखनऊ,  अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और संरक्षक उदयप्रताप सिंह यादव से विभिन्न सामाजिक व राजनैतिक मुद्दों पर संपादक अनुराग यादव हुई बातचीत की  पेश हैं कुछ खास झलकियां-

अनुराग यादव- यादव समाज मे बड़ी हलचल दिखाई दे रही है क्या वजह है और उनकी क्या मांगें हैं?

उदयप्रताप सिंह यादव – यादव समाज एक जागरूक समाज है। जिनकी मुख्य मांगें हैं सेना मे अहीर रेजीमेंट का गठन किया जाये , जातिगत जनगणना जल्द से जल्द करवाई जाये और लोकतंत्र के तीनों स्तंभों मे आबादी के अनुपात मे भागीदारी दी जाये।

अनुराग यादव- अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा द्वारा अहीर रेजीमेंट की मांग क्यों?

उदयप्रताप सिंह यादव – आप बताईये जब राजपूतों के नाम पर राजपूत रेजीमेंट, सिक्खों के नाम पर सिक्ख रेजीमेंट, गोरखा रेजीमेंट हो सकती है तो यादव रेजीमेंट क्यों नही बन सकती है। कई सालों से यादव समाज केन्द्र सरकार से  यह मांग  कर रहा है कि सेना मे यादवों के योगदान और उनकी संख्या को देखते हुये अन्य जातियों की भांति  यादवों के नाम पर यादव रेजीमेंट या अहीर रेजीमेंट का गठन किया जाये।  जो अभी तक पूरी नही हुई। केन्द्र की सरकारें लगातार यादव समाज की मांगों को अनसुना कर रही है।

अनुराग यादव-  लेकिन सेना मे जाति के नाम पर रेजीमेंट को तो समाप्त किया जा चुका है?

उदयप्रताप सिंह यादव – अगर केन्द्र सरकार जाति के नाम पर रेजीमेंट नही बनाना चाहती है तो स्थान के नाम पर बना दे, अहीर रेजीमेंट के स्थान पर अहीरवाल रेजीमेंट  भी ठीक है। सेना मे स्थानों के नाम पर भी कई रेजीमेंट हैं। जैसे- कुमांऊ रेजीमेंट, गढवाल रेजीमेंट, पंजाब रेजीमेंट आदि।

अनुराग यादव-  जातिगत जनगणना पर यादव समाज इतना जोर क्यों दे रहा है इससे क्या फायदा है?

उदयप्रताप सिंह यादव –  देखिये जातिगत जनगणना न केवल यादव समाज बल्कि सभी हाशिये पर पड़ी जातियों के लिये जरूरी है। पूरे देश मे यादव समाज की आबादी १८ प्रतिशत के करीब है। लेकिन सरकारी नौकरियों से लेकर, न्यायपालिका, ब्यूरोक्रेसी, व्यापार, धन सम्पदा मे यादवों की  भागीदारी आबादी के अनुपात मे नगण्य है। जातीय जनगणना से न केवल यादव समाज बल्कि पिछड़े वर्ग, दलित और आदिवासी जातियों को भी लाभ मिलेगा जिनका कार्यपालिका न्यायपालिका, िवधायिका आदि मे आबादी के अनुपात मे ऊचित प्रतिनिधित्व नही है। जातीय जनगणना से स्थिति स्पष्ट होने के बाद सभी जातियों की भागीदारी सुनिशचित की जा सकती है।

अनुराग यादव- आप  आबादी के अनुपात मे  प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं, जबकि हालात ये हैं कि ओबीसी का २७ प्रतिशत आरक्षण होने के बावजूद मात्र ८ प्रतिशत सीटे ही केन्द्र सरकार की नौकरियों मे भरी गई हैं?

उदयप्रताप सिंह यादव – इसीलिये तो हम हर क्षेत्र मे भागीदारी की मांग कर रहें हैं। केन्द्र की सरकारों ने आरक्षण को पूरे मन से लागू नही किया है। इसीलिये  एक तरफ आरक्षित सीटें खाली पड़ी हैं दूसरी तरफ पिछड़े वर्ग के पढ़े लिखे नौजवान बेरोजंगार घूम रहे हैं।  कई अधिकारी नियमों का सही तरह से पालन नही कर रहे हैं, आरक्षण देने मे लापरवाही कर रहे हैं। सच तो यह है कि जब तक न्यायिक सेवाओं मे  एससी, एसटी और ओबीसी को समानुपातिक भागीदारी नही मिलती है, तब तक आरक्षण का पूरा लाभ इन वर्गों को नही मिल पायेगा। इसीलिये अब हमारी मांग है कि केन्द्र सरकार न्यायिक सेवाओं मे एससी, एसटी और ओबीसी को समानुपातिक भागीदारी सुनिश्चित करे।

 

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