नहीं होगी मुलायम सिंह यादव की तेरहवीं, जानिये क्यों लिया गया ये निर्णय ?

लखनऊ,  समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव मंगलवार को पंच तत्व में विलीन हो गए। आज परिवार के लोगों ने शुद्धिकरण संस्कार में भाग लिया लेकिन मुलायम सिंह यादव की तेरहवीं के आयोजन को लेकर मना कर दिया।

आज सुबह अख‍िलेश प‍िता की अस्‍थ‍ियां लेने के ल‍िए गए और उसके बाद पर‍िवार के साथ शुद्ध‍िकरण संस्‍कार में शाम‍िल हुए। अस्थियां लेने के बाद अखिलेश यादव शुद्धिकरण संस्कार के लिए परिवार संग मुलायम सिंह यादव के भाई अभय राम यादव के घर पर पहुंचे। जहां अखिलेश यादव, बेटे अर्जुन यादव, प्रतीक यादव, शिवपाल यादव, धर्मेंद्र यादव व परिवार के अन्य लोगों ने मुंडन करवाया। नेताजी का पूरा परिवार भाई अभय राम सिंह, राजपाल सिंह, शिवपाल सिंह, रामगोपाल यादव भतीजे धर्मेंद्र यादव, कार्तिकेय यादव, अंकुर यादव, अंशुल यादव, प्रतीक यादव पुत्र, तेज प्रताप सिंह आदि मौजूद थे । लेकिन ये बताया गया कि तेरहवीं नही की जायेगी।

परंपरा के अनुसार सैफई में तेरहवीं संस्कार नहीं होता है लिहाजा अंत्येष्टि के 11वें दिन बाद शुद्धिकरण यज्ञ का आयोजन होगा। सैफई और इसके आसपास के काफी बड़े क्षेत्र की परंपरा है कि तेरहवीं संस्कार यानि मृत्युभोज की परंपरा का बहिष्कार किया जाता है। कहा जाता है कि इससे  गरीब परिवार पर आर्थिक बोझ पड़ता है, लिहाजा आर्थिक रूप से मजबूत परिवार भी इसे नहीं करतें हैं ताकि समाज के अन्य लोगों को भी इसे करने के लिए बाध्य न होना पड़ा।

मृत्युभोज जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने का श्रेय जाता है नेताजी के मित्र राज्यसभा सांसद रहे बाबू दर्शन सिंह यादव को। बाबू दर्शन सिंह मुलायम सिंह के संघर्ष के दिनों में बतौर मित्र  हमेशा साथ रहे।  बाबू दर्शन सिंह को नेता के साथ-साथ समाजसेवी के रूप में जाना जाता है। उन्होनेकेंद्रीय समाज सेवा समिति का गठन किया था। उन्होंने इसके माध्यम से सबसे पहले  इटावा-मैनपुरी, कन्नौज समेत कई जनपदों में दहेज , मृत्यु उपरांत भोज और नशा का खुलकर विरोध किया। उन्होंने तेरहवीं के स्थान पर शांति पाठ कराने का प्रयास किया। काफी संघर्ष के बाद उनकी पहल रंग लाई और इटावा समेत कई जनपदों में लोगों ने मृत्यु उपरांत भोज के स्थान पर शांति पाठ कराना शुरू किया। वे खुद भी शांति पाठ कराने जाते थे।

बाबू दर्शन सिंह यादव ने केंद्रीय समाज सुधार समिति के जरिए उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और दिल्ली के जिलों में मृत्युभोज के खिलाफ अलख जगाई । उन्होंने तेरहवीं पर मृत्युभोज  न करने का यादव समाज के बीच अभियान छेड़ा। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सुधार में अर्पण कर दिया था।   जिसका ये असर हुआ कि लोगों ने मृत्युभोज न करने का संकल्प लिया और अब इस क्षेत्र में कोई तेरहवीं पर मृत्युभोज  नही करता है।तेरहवीं के स्थान पर सिर्फ शांति हवन किया जाता है। पूर्व सांसद बाबू दर्शन सिंह यादव का कहना था कि मृत्युभोज से गरीब पर और विपदा आ जाती है। उन्होंने इस भोज को अमीरों द्वारा गरीबों पर लगाया गया सामाजिक टैक्स बताया।

The post नहीं होगी मुलायम सिंह यादव की तेरहवीं, जानिये क्यों लिया गया ये निर्णय ? appeared first on Yadav Manch.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button