राव तुलाराम यादव : ” राजा ” से लेकर ” राज नायक” तक का सफर
लखनऊ, राव तुलाराम यादव 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उनका राजा से लेकर ” राज नायक” तक का सफर बहुत साहसपूर्ण रहा है। मात्र 37 वर्ष की आयु में 23 सितंबर 1863 को काबुल में उनकी मृत्यु हो गई। आज उनकी पुण्य तिथि है।
राव तुलाराम का जन्म हरियाणा राज्य के रेवाड़ी शहर में एक यादव (अहीर) परिवार में 09 दिसम्बर 1825 को हुआ था। इनके पिता का नाम राव पूरन सिंह तथा माता जी का नाम ज्ञान कुँवर था। इनके दादा का नाम राव तेज सिंह था। आप 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे। विद्रोह काल मे, हरियाणा के दक्षिण-पश्चिम इलाके से सम्पूर्ण बिटिश हुकूमत को अस्थायी रूप से उखाड़ फेंकने तथा दिल्ली के ऐतिहासिक शहर में विद्रोही सैनिको की, सैन्य बल, धन व युद्ध सामाग्री से सहायता प्रदान करने का श्रेय राव तुलाराम को जाता है।
1857 की क्रांति में राव तुलाराम ने खुद को स्वतंत्र घोषित करते हुये राजा की उपाधि धारण कर ली थी। उन्होने नसीबपुर- नारनौल के मैदान में अंग्रेजों से युद्ध किया जिसमें उनके पाँच हजार से अधिक क्रन्तिकारी सैनिक मारे गए थे। उन्होने दिल्ली के क्रांतिकारियों को भी सहयोग दिया व 16 नवम्बर 1857 को,स्वयं ब्रिटिश सेना से नसीबपुर- नारनौल में युद्ध किया, और ब्रिटिश सेना को कड़ी टक्कर दी तथा ब्रिटिश सेना के कमांडर जेरार्ड और कप्तान वालेस को मौत के घाट उतर दिया ,परंतु अंत में उनके सभी क्रन्तिकारी साथी मारे गए राव तुलाराम को घायल अवस्था में युद्ध क्षेत्र से हटना पड़ा ,वह पराजित हुये पर हिम्मत नहीं हारी । आगे की लड़ाई की रणनीति तय करने हेतु वह तात्या टोपे से मिलने गए, परंतु 1862 में तात्या टोपे के बंदी बना लिया गया था । राव तुला राम ने अंग्रेजों से भारत को मुक्त कराने के उद्देश्य से भारत छोड़ा । उन्होंने सैनिक सहायता मांगने के लिये ईरान और अफगानिस्तान के शासकों से मुलाकात की। राव तुलाराम की रूस के साथ सम्पर्क स्थापित करने की योजनाएं थीं। लेकिन अचानक काबुल में अल्पायु में उनकी मृत्यु हो गयी।
1857 की क्रांति में भागीदारी के कारण ब्रिटिश हुकूमत ने 1859 मे, राव तुलाराम की रियासत को जब्त कर लिया था। परंतु उनकी दोनों पत्नियों का संपत्ति पर अधिकार कायम रखा गया था। 1877 में उनकी उपाधि उनके पुत्र ‘राव युधिष्ठिर सिंह’ को अहिरवाल का मुखिया पदस्थ करके लौटा दी गयी।
23 सितम्बर 2001, को भारत सरकार ने महाराजा राव तुलाराम की स्मृति में डाक टिकेट जारी किया। उनके सम्मान में बने, जफरपुर कलाँ का “राव तुलाराम मेमोरियल चिकित्सालय, महाराजा राव तुलाराम मार्ग पर स्थित ‘रक्षा अध्ययन व विश्लेषण संस्थान’ व महाराजा राव तुलाराम पोलिटेक्निक, वजीरपुर चिराग दिल्ली प्रमुख है। राव तुलाराम चिकित्सालय दिल्ली में DHANSA रोड के रावता मोड के निकट जफरपुर पुलिस स्टेशन के पास स्थित है। आज उन्हे हरियाणा राज्य में ” राज नायक” माना जाता है।
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