नई दिल्ली,  प्रोफेसर (डाक्टर) सुषमा यादव को एक और अहम जिम्मेदारी मिल गई है। अब वह सामाजिक न्याय की आवाज को और अधिक बुलंद करेंगी।

धर्मांतरित दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने पर अध्ययन करने के लिए केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में आयोग गठित किया है। डा सुषमा यादव को इस तीन सदस्यीय आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है।  सेवानिवृत आइएएस रविन्दर कुमार जैन भी इस आयोग के सदस्य होंगे। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 6 अक्टूबर को आयोग के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है।

आयोग अध्ययन करेगा कि ऐतिहासिक रूप से सामाजिक असमानता और भेदभाव झेलते आ रहे दलित अगर संविधान के अनुच्छेद 341 में उल्लेखित धर्मों (हिन्दू, सिख, बौद्ध) के अलावा किसी और धर्म में परिवर्तित हो गये हैं तो क्या उन्हें धर्म परिवर्तन के बाद भी अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जा सकता सकता है। आयोग अध्ययन करके दो वर्ष के भीतर अपनी रिपोर्ट देगा।