लखनऊ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने वार्षिक दशहरा कार्यक्रम में पहली बार किसी महिला को मुख्य अतिथि बना रहा है और वह मुख्य अतिथि यादव समाज की एक बेटी होगी।
इस बार आरएसएस अपने वार्षिक दशहरा कार्यक्रम में पर्वतारोही संतोष यादव को मुख्य अतिथि बनाएगा. हरियाणा के रेवाड़ी ज़िले की रहने वाली यादव दो बार एवरेस्ट फ़तह करने वाली पहली महिला हैं. संतोष यादव की इस उपलब्धि को 1994 के गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शमिल किया गया था. 54 साल की यादव को साल 2000 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) में अफ़सर रहीं यादव आजकल बतौर योग, पर्यावरण-पारिस्थितिकी के अलावा प्राकृतिक आपदा प्रबंधन के गुर सिखाती हैं. देश के बड़े संस्थान उन्हें मोटिवेशनल स्पीकर के तौर भी बुलाते हैं.
कोविड की वजह से पिछले दो साल से संघ ने अपना वार्षिक दशहरा कार्यक्रम नहीं किया था. संघ अपने इस अहम सालाना कार्यक्रम में पहली बार किसी महिला को मुख्य अतिथि बना रहा है. लिहाज़ा उसके इस फ़ैसले की ख़ासी चर्चा हो रही है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 2018 में संघ के इस कार्यक्रम में शामिल होना काफ़ी चर्चा का विषय रहा था. दो महीने पहले ‘कृषि और समृद्धि’ पर संघ के एक कार्यक्रम में इसके सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने इसकी बैठकों में महिलाओं की कम भागीदारी पर निराशा ज़ाहिर की थी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चुनाव नहीं लड़ता लेकिन इसके संगठन का पूरा फ़ायदा बीजेपी को मिलता है. क्या सामाजिक आधार को बढ़ाने की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कोशिश का फ़ायदा बीजेपी को वोट के तौर पर मिलेगा?
बीजेपी ने हाल ही में अपने नए संसदीय बोर्ड में हरियाणा से पूर्व सांसद सुधा यादव को शामिल किया है. यूपी से राज्यसभा में संगीता यादव को भेजा गया है और अब समाज में एक आइकन के तौर देखी जानी वाली संतोष यादव को संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनाया जा रहा है.यादव समुदाय की तीन महिलाओं को अहमियत देकर क्या संदेश दिया जा रहा है? क्या बीजेपी की नज़र अब पूरी तरह से यादव वोटरों पर है?