चौधरी हरमोहन सिंह यादव की आज 101 वीं जयंती, उनसे जुड़ी कुछ खास बातें
हरमोहन सिंह यादव का जन्म 18 अक्टूबर 1921 को कानपुर नगर के ‘मेहरबान सिंह का पूरवा’ गांव में हुआ था। 31 साल की उम्र में उन्होंने राजनीति में कदम रखा।
चौधरी हरमोहन सिंह के बड़े भाई चौधरी रामगोपाल यादव ही चौधरी हरमोहन सिंह को राजनीति में लाए और उनको ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ाया।
हरमोहन सिंह यादव दो बार राज्यसभा सदस्य रहे। एक बार समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने भेजा और एक बार राष्ट्रपति द्वारा नामित होने पर राज्यसभा पहुंचे। क्योंकि 1984 के सिख दंगों में हरमोहन सिंह ने सिखों की बहुत मदद की थी जिसके लिए उनको शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। 1984 में जब सिख विरोधी दंगे देश भर में भड़के थे तो हरमोहन सिंह यादव रक्षक के रूप में सामने आये। उन्होंने कानपुर में लोगों को सिखों के खिलाफ हिंसा से रोका। खुद सड़कों पर उतरे और लोगों को शांत कराया।इतना ही नहीं दंगों के दौरान जब एक सिख परिवार उनके घर में अपनी सुरक्षा के लिये पहुंचा तो उन्होंने उसे तब तक हमले से बचाया जब तक कि हमलावरों को तितर-बितर कर गिरफ्तार नहीं कर लिया गया। इसके चलते तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने उन्हें 1991 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया।
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हरमोहन सिंह यादव समाजवादी नेता होने के साथ ही यादव बिरादरी की राजनीति से भी जुड़े थे। वह लंबे समय तक अखिल भारत वर्षीय यादव महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे। यही नहीं उनके बेटे सुखराम यादव आज भी अखिल भारत वर्षीय यादव महासभा के उपाध्यक्ष हैं। 25 जुलाई 2022 को हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में यूपी, बिहार, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, गुजरात समेत देश के 12 राज्यों से यादव महासभा के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
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25 जुलाई 2022 को हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वर्चुअली संबोधित किया था। प्रस्तुत हैं प्रधानमंत्री के संबोधन के कुछ खास अंश-
“1984 के सिख-विरोधी दंगों के दौरान कई सिखों के जीवन की रक्षा करने में वीरता का प्रदर्शन के लिए श्री हरमोहन सिंह यादव को 1991 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.” -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
” उनका फौलादी व्यक्तित्व हमने 1984 में भी देखा. हरमोहन सिंह यादव जी ने ना केवल सिख संहार के खिलाफ राजनीतिक स्टैंड लिया. बल्कि सिख भाई बहनों की रक्षा के लिए वो सामने आकर के लड़े. और अपनी जान पर खेलकर ना जाने कितने सिख परिवारों की जान बचाई. देश ने भी उनके नेतृत्व को पहचाना और उन्हें शौर्य चक्र दिया गया.”
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
“उन्होंने ग्राम प्रधान से लेकर राज्यसभा तक का सफर तय किया और राजनीति के शिखर तक का सफर तय किया. एक समय मेहरबान सिंह का पुरवा से यूपी की राजनीति को दिशा मिलती थी. हरमोहन सिंह की जी की प्राथमिकता समाज ही रहा. उन्होंने समाज के लिए और कुशल नेतृत्व तैयार करने के लिए काम किया.” –प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
” आजादी से पहले महात्मा गांधी हों या फिर उसके बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय, राम मनोहर लोहिया या फिर जयप्रकाश नारायण हों, उनके विचार हमें प्रेरणा देते हैं। लोहिया के विचारों को तो हरमोहन सिंह यादव ने आगे बढ़ाया.” -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
” हमारे यहां मान्यता है कि शरीर के चले जाने के बाद भी जीवन समाप्त नहीं होता। गीता में भी श्रीकृष्ण ने यही संदेश दिया है। जो समाज की सेवा के लिए जीते हैं, वे मृत्यु के बाद भी अमर रहते हैं.” -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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